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न खेल का मैदान, न कोई साधन; फिर भी किसान की बेटी ने भाला फेंक में कर दिया कमाल

2024-06-18 06:21:05

कन्नौज /अंजली शर्मा: कहते है प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, फिर वो चाहे किसी अमीर का बच्चा हो या फिर किसी गरीब किसान का, ऐसा ही कुछ 14 साल की अंजली कटियार ने कर दिखाया है. गुजरात मे भाला फेंक प्रतियोगिता में सबसे बढ़िया प्रदर्शन करने पर अंजली का भारतीय खेल प्राधिकरण में चयन हो गया है.

अंजलि ठठीया क्षेत्र के सुभाष इंटर कालेज में पढ़ती है. 9वी कक्षा में पढ़ने के दौरान उनके टीचर ने उनके अंदर प्रतिभा देखी और उनको खेल के प्रति आगे बढ़ने को कहा. इसके बाद एक अकादमी में उनका एडमिशन करवाया. अकादमी में कोच ने उनके प्रतिभा को तराशा और उनको आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद कड़ी मेहनत कर अंजलि ने पहले तो छोटे लेवल पर कुछ टूर्नामेंट में भाग लिया. इसके बाद उन्होंने गुजरात में आयोजित टूर्नामेंट में भाग लिया, जहां पर उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया है.

अब राष्ट्रीय टीम में मिल सकता मौका
भारतीय खेल प्राधिकरण की ओर से गुजरात के अहमदाबाद में एक प्रतियोगिता आयोजित हुई. इसमें एथलेटिक्स संघ की ओर से इस प्रतियोगिता में अंजलि कटियार ने भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया. इसमें देश के कई राज्यों के छात्रों ने प्रतिभाग किया था. अंजलि को राष्ट्रीय स्तर पर उनमें से 19वी रैंक प्राप्त हुई. इस प्रतियोगिता में कुल 45 छात्राओं का भारतीय खेल प्राधिकरण में चयन हुआ है. अब 20 जून को एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित कैंप में अंजलि को अभ्यास कराया जाएगा. इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय टीम में खेलने का मौका मिलेगा.

क्या बोले कोच
अंजलि के कोच शिवम सिंह बताते हैं कि हम एक एकेडमी चला रहे हैं, जिसका नाम युवा फिजिकल अकेडमी नेरा कन्नौज है. यह एक एथलेटिक्स एकेडमी है. एकेडमी से अंजलि को साइन एकेडमी में सिलेक्शन मिला है. अंजलि ने गुजरात के अहमदाबाद में भाला फेंक प्रतियोगिता में भाग लिया था, जिसमें अंजलि ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. यूपी में उसको प्रथम स्थान मिला, जिसके बाद अंजलि का चयन हुआ है. हम लोग लगातार मेहनत करके युवाओं को तराश रहे हैं. लेकिन, हम लोग संसाधनों के कारण थोड़ा सा मात खा जाते हैं. अगर हम लोगों को अच्छे संसाधन मिले तो, कन्नौज से भारत के लिए कई ऐसे प्रतिभावान युवा हैं जो खेलों में प्रदर्शन करके गोल्ड जीता सकते हैं.

क्या बोली अंजलि
अंजलि बताती हैं कि उन्होंने कक्षा 9 से एथलेटिक्स की शुरुआत की, जिसके बाद कोच और घर वालों का सपोर्ट मिला. वह प्रतिदिन 3 से 4 घंटे की प्रैक्टिस के साथ-साथ घर के भी काम और पढ़ाई को भी संभालती है. वह 14 साल की उम्र में लगातार मेहनत करके भारत के लिए गोल्ड मेडल लाना चाहती है. उन्होंने भाला फेंक में अपनी रुचि जताई. इसके बाद अंजलि को लखनऊ की सबसे प्रतिष्ठित SAI एकेडमी में सलेक्शन का मौका मिला. अंजलि बताती हैं कि वह कन्नौज में जी ग्राउंड में प्रैक्टिस करती हैं. वहां पर सुविधाओं का बहुत बड़ा अभाव है. हम लोग देसी सुविधा से अपनी प्रैक्टिस करते हैं. ग्राउंड भी नहीं है, खेत जैसा माहौल है. यहां पर हम लोग लकड़ी के और टेंपरेरी इंस्ट्रूमेंट के सहारे अपनी प्रैक्टिस करते हैं. हम लोगों को अगर अच्छी सुविधा मिले, तो हम और हमारे बहुत सारे साथी ऐसे हैं जो अच्छा कर सकते हैं.

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