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हीरामंडी से कम नहीं था दिल्ली का यह बाजार, जानें क्यों हो रही चर्चा

2024-05-29 04:33:27

गौहर/दिल्ली: ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर धूम मचा देने वाली संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज ‘हीरामंडी’  इस समय लोगों को काफी पसंद आ रही है.  यह वेब सीरीज नेटफ्लिक्स पर अब तक की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली इंडियन सीरीज बन गई है. वहीं, कई लोग इससे जुड़ी कई अलग-अलग बातें भी कर रहे हैं, लेकिन जिस तरह से इस भूले हुए इतिहास को इस वेब सीरीज में दर्शाया गया है. उससे एक बात तो साफ है कि यह वेब सीरीज इस समय लोगों में चर्चा का विषय बन चुकी है.

इस वेब सीरीज में जिस ‘हीरामंडी’ की तवायफों और कोठों का जिक्र किया गया है. दरअसल, वह जगह इस समय पाकिस्तान के लाहौर शहर में है, लेकिन शायद ही लोग इस बारे में जानते होंगे कि इसी तरह की एक ‘हीरामंडी’  जिसे बाज़ार-ए-हुस्न कहा जाता था. एक वक्त में पुरानी दिल्ली में हुआ करती थी. जिसे अब लोग पुरानी दिल्ली में चावड़ी बाजार के नाम से जानते हैं. इससे जुड़े इतिहास के बारे में हम और भी विस्तार से अब आपको इस लेख में आगे बताने जा रहे हैं.

मुगल काल से भी पहले का इतिहास
इतिहासकार अनुष्का जैन के मुताबिक तवायफों और कोठों का इतिहास मुगल काल और ब्रिटिश दौर से भी ज्यादा पुराना है. उनका यह भी कहना था कि यह तवायफें एक कुशल कलाकार थीं, जो गायन, नृत्य और अन्य कलाओं में निपुण थीं. वे शास्त्रीय संगीत और नृत्य के संरक्षक थे, और इनमें से कुछ सांस्कृतिक दृश्य से अपने समय की प्रभावशाली हस्तियां भी बन गई थी. इन तवायफों का आकर्षण राजाओं, नवाबों, कवियों और साहबों को उनके दरवाजे तक खींच लाता था.

मशहूर तवायफें और उनसे जुड़े किस्से
चावड़ी बाजार की मशहूर तवायफ़ें रूपमती, अनारकली, राणा दिल, लाल कुंवर नूर बाई, चमानी राम जानी, उत्तम बाई, फिरदौस जान, बेगम, अल्फिना और पुन्ना बाई थी, लेकिन तवायफ मुबारक बेगम और उनके नाम पर बनी मस्जिद आज भी चावड़ी बाजार में मौजूद है और इनसे जुड़े किस्से भी आप को इतिहास में पढ़ने को खूब मिल जाएंगे. कहा जाता है कि मुबारक बेगम की शादी पहले ब्रिटिश निवासी डेविड ऑक्टरलोनी से हुई थी और ऑक्टरलोनी की मृत्यु के बाद मुबारक बेगम ने उनकी याद में यह मस्जिद बनाई थी. जिसे लोग आज मस्जिद मुबारक बेगम के नाम से जानते हैं.

आज भी हैं उस समय के आर्किटेक्ट स्ट्रक्चर
चावड़ी बाजार में आज भी आप उस जमाने के आर्किटेक्ट स्ट्रक्चर देखने जा सकते हैं, जो हूबहू हो आपको पुराने जमाने के कोठों और उन में रहने वाली तवायफों की याद दिला देंगे. वहीं, अनुष्का जैन ने बताया कि वह इनरूट इंडियन हिस्ट्री नाम की एक कंपनी चलाती हैं. जिसके अंतर्गत वह यहां पर अक्सर पर्यटकों कोएक हेरिटेज वॉक करवाती हैं और उस वॉक का नाम उन्होंने तवायफ्स और कोठास वॉक रखा है. जिसमें वह इन पुराने आर्किटेक्ट स्ट्रक्चर के बारे में लोगों को बताती हैं और तवायफों और कोठों से जुड़े इतिहास से भी उन्हें रूबरू करवाती हैं. यदि आप भी इनके साथ यह वॉक करना चाहते हैं तो आपको इनकी वेबसाइट इनरूट इंडियन हिस्ट्री पर जाकर और कुछ पैसे देकर अपना स्लॉट बुक करना होगा.

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