2024-07-20 15:02:29
नई दिल्ली. खेलों के महाकुंभ ओलंपिक का इंतजार हर एक भारतीय को रहता है. टोक्यो ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन के बाद इस बार पेरिस में होने वाले इस मेगा इवेंट में देश के खिलाड़ियों से और भी ज्यादा पदक की उम्मीद है. इस बार कुल 117 खिलाड़ियों का दल देश की उम्मीदों को लेकर मैदान पर अपना जलवा बिखेरने उतरेगा. देश के लिए मेडल जीतने वाले खिलाड़ी की मेहनत अकेले रंग नहीं लाती बल्कि उनके पीछे पसीना बहाने वाले सहयोगी स्टाफ की भूमिका सबसे अहम होती है. इस बार 140 सपोर्ट स्टाफ का दल पेरिस में होगा, जिसे लेकर हाय तौबा मची हुई है.
ओलंपिक तक पहुंचना कितना मुश्किल होता है, यह सिर्फ वो खिलाड़ी जानता है जो इस कामयाबी को हासिल करता है. घर पर बैठे या अखबार और मोबाइल पर खबर पढ़ते हुए ज्ञान देने वाले इस बात को नहीं समझ सकते हैं. इस बार के ओलंपिक में 117 खिलाड़ियों के साथ 140 सपोर्ट स्टाफ जाने की बात सामने आने के बाद से ही कुछ लोगों के दिमाग में फिजूल के सवाल पैदा हुए. यह सवाल वही कर रहे हैं जिनको अंदर की सच्चाई या खिलाड़ियों के साथ चलने वाले इन धुरंधरों की काबिलियत और मेहनत का पता नहीं. अगर भारत को मेडल की संख्या बढ़ानी है तो तैयारी भी वैसी ही होनी चाहिए. इसके लिए ऐसे दिमाग की जरूरत होती है, जिसकी क्षमता का अंदाजा तब चलता है जब हमारे खिलाड़ी मेडल लेकर तिरंगा लहराते हैं.
140 सपोर्ट स्टाफ पर हाय तौबा क्यों?
ओलंपिक जैसे बड़े आयोजन में जब भारतीय खिलाड़ी उतरते हैं तो उनका सामना दुनियाभर के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों से होता है. जाहिर है खिलाड़ियो को पास जज्बा होता लेकिन अनुभव वो उनके साथ चलने वाले सपोर्ट स्टाफ से पाते हैं. इस बार भारतीय खिलाड़ियों के साथ 140 सपोर्ट स्टाफ होंगे. सवाल उठाना आसान होता है कि ये सरकारी खर्चे पर विदेश में अय्याशी करेंगे, इनकी संख्या कम की जा सकती थी लेकिन जब आप गहराई से भारतीय दल में शामिल सपोर्ट स्टाफ पर नजर डालेंगे तो समझ आएगा कि 85 फीसदी संख्या उनकी है जिसके बिना खिलाड़ी खेलों के महाकुंभ में खुद को अकेला पाएंगे.
85 फीसदी सपोर्ट स्टाफ की हिम्मत
पेरिस 2024 सपोर्ट स्टाफ की लिस्ट पर अगर नजर डालें तो 85 प्रतिशत से अधिक नाम ऐसे हैं जिनके बिना खिलाड़ी की हिम्मत टूट सकती है. इसमें खिलाड़ियों का मार्गदर्शन करने वाले कोच, बड़े मंच पर मानसिक मजबूती देने वाले खेल वैज्ञानिक, चोटिल होने पर बेहतर उपचार देने वाली मेडिकल टीम और चोट से जल्दी से जल्दी वापसी करने में मदद करने वाली फिजियोथेरेपिस्ट की टीम के लोग शामिल हैं.
खिलाड़ी के साथ बड़े नाम का होना जरूरी
अपने खेल में महारत रखने वाले दिग्गज ओलंपिक में उतरने वाले खिलाड़ियों को मार्गदर्शन देते हैं. लिस्ट को देखें तो भारत के महान शूटर जसपाल राणा मेडल की दावेदार निशानेबाज मनु भाकर के साथ होंगे. ऐसे ही बैडमिंटन में मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद के साथ दिग्गज प्रकाश पादुकोण और विमल कुमार दल के साथ हैं. पीवी सिंधु जैसे एथलीटों यह दिग्गज मैच के दौरान और उससे पहले रणनीति में बदलाव करने में मदद करते हैं.
साल 2016 यानी रियो ओलंपिक में पदक जीतने की दावेदार पहलवान विनेश फोगाट को चोटिल होने के बाद मेडिकल सपोर्ट नहीं मिल पाया था. ऐसी स्थिति किसी और खिलाड़ी के साथ ना हो इसके लिए खिलाड़ियों के साथ एक मजबूत मेडिकल टीम पेरिस में मौजूद होगी. ओलंपिक जैसे बड़े इवेंट में उतरने से पहले और आगे बढ़ने के दौरान मनोचिकित्सक की टीम की भूमिका सबसे अहम हो जाती है. खिलाड़ी की मानसिक स्थिति जैसी होती है, उनका खेल भी वैसा ही होता है. इस वजह से एक सशक्त टीम भारत के मेडल की उम्मीदों को हमेशा ही बढ़ाती है. सपोर्ट स्टाफ को लेकर हाय तौबा ना करने की जगह अगर हर एक बात पर गहराई से अध्यन किया जाए तो ज्यादा अच्छा होगा.
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FIRST PUBLISHED : July 20, 2024, 20:32 IST
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