2024-07-16 18:19:30
गया. शब्द भेदी धनुर्विद्या की एक कला है जिसमें ध्वनि के सहारे लक्ष्य भेदा जाता है. इस पद्धति से लक्ष्य को देखना या उसके सामने होना आवश्यक नहीं होता है. केवल लक्ष्य की ध्वनि सुनकर ही धनुर्धारी उसे भेद सकता है. बिहार के गया जिले में एक ऐसा धनुर्धारी है जो आंख पर पट्टी बांधकर ध्वनि सुनकर निशाना लगाता है. इस धनुर्धारी का नाम है अमित कुमार.
अमित कुमार गया शहर के घुघरीटांड के रहने वाले हैं. धनुर्विद्या में इस कला को शब्द भेदी बाण कहा जाता है. हालांकि आज के दौर में बहुत कम लोग हैं जो इस विद्या को जानते हैं. यह धनुर्विद्या विलुप्ति के कगार पर है. गया के अमित शब्द भेदी बाण पर महारत हासिल कर चुके हैं.
आंख पर पट्टी बांधकर निशाना
अमित के पास एक ऐसी कला है जो लोगों को अचंभित कर देती है. वो आंख पर पट्टी बांधकर आवाज की दिशा में लक्ष्य पर निशाना साधते हैं. शब्दभेदी बाण की कला सीखने के लिए इन्होंने काफी मेहनत की. सालों की मेहनत के बाद इस पर महारत हासिल की. यह धनुर्विद्या काफी मेहनत की बाद मिलती है. इसमें प्रैक्टिस खूब करने होती है. हालांकि इन्होंने अभी तक लोगों के सामने इस कला का प्रदर्शन नहीं किया है. एकांत जगह पर इसकी प्रैक्टिस करते हैं ताकि ध्यान न भटके. इस कला को करने के लिए शांत माहौल चाहिए होता है. इस कला को अमित खुद तो करते ही हैं,अब वह बच्चों को भी इसे सिखा रहे हैं.अमित पांच बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता जीत चुके हैं. इसके अलावा इन्हें नेशनल खेलने का भी मौका मिला.
ये है इतिहास
कहा जाता है भारत में अभी तक केवल तीन शब्दभेदी बाण चलाने का वर्णन है. त्रेता युग में राजा दशरथ ने श्रवण कुमार को मारा. द्वापर युग में एक भील ने मृग समझकर श्रीकृष्ण पर शब्दभेदी बाण चलाया जबकि कलयुग में हिन्दू शासक पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी का वध किया. आज के दौर में भारत में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें शब्द भेदी बाण पर महारत हासिल है.
FIRST PUBLISHED : July 16, 2024, 23:49 IST
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