2024-07-14 10:48:42
Remained a Woman Throughout Life: आधुनिक ओलंपिक की शुरुआत साल 1896 में एथेंस में हुई थी. इन खेलों के 128 सालों के लंबे सफर में ढेरों कीर्तिमान बने और ध्वस्त हुए. तमाम खिलाड़ियों ने अपने अविस्मरणीय प्रदर्शन से इतिहास रचा, तो कई बार कुछ सितारों को ओलंपिक रास नहीं आया. इन बातों के अलावा ओलंपिक सफर में कुछ ऐसी घटनाएं भी घटीं, जिसने लोगों को हैरान कर दिया. ऐसी ही एक घटना के बारे में हम आपको बता रहे हैं. ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली एक महिला एथलीट की जब मौत हो गई तो यह खुलासा हुआ कि वह तो पुरुष थी. वह ताजिंदगी महिला बन कर रहा और लोगों को पता ही नहीं चला.
1932 लास एंजिल्स ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने से पहले ही लोग पोलिश-अमेरिकी एथलीट स्टेला वॉल्श को जानने लगे थे. उनकी ख्याति दुनिया की सबसे तेज महिला एथलीट के तौर पर फैलने लगी थी. ओलंपिक से पहले स्टेला वॉल्श ने यूरोप में एक प्रतियोगिता में 60, 100 और 200 मीटर स्प्रिंट के साथ-साथ लांग जंप में भी अपनी श्रेष्ठता मनवाई.
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एक हफ्ते में तीन विश्व रिकॉर्ड
यूरोप में जिस प्रतियोगिता में उन्होंने भाग लिया उसमें उनकी स्पीड इतनी अभूतपूर्व थी कि उन्होंने एक सप्ताह में तीन नए विश्व रिकॉर्ड बनाए. 1930 के मिलरोज गेम्स में भी उन्होंने 50 गज की दौड़ में एक नया रिकॉर्ड बनाया था. इस समय स्टेडियम में मौजूद 16 हजार दर्शकों ने उनके लिए खड़े होकर पांच मिनट तक तालियां बजाई थीं. इस मीट में उन्हें उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए रोडमैन वानामेकर इंटरनेशनल ट्रॉफी से सम्मानित किया गया. वह यह सम्मान हासिल करने वाली पहली महिला थीं.
1932 में जीता ओलंपिक गोल्ड
फिर आया लास एंजिल्स ओलंपिक जिसने स्टेला वॉल्श को स्टार बना दिया. खेलों के तीसरे दिन स्टेडियम में 55,000 लोगों के बीच गर्म दोपहर में स्टेला वॉल्श ने 100 मीटर की दौड़ जीत ली. उन्होंने कना़डा की हिल्डा स्ट्राइक को पछाड़ते हुए 11.9 सेकंड के विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की. लास एंजिल्स टाइम्स ने स्टेला वॉल्श के बारे में लिखा, “पुरुष जैसी शक्तिशाली युवती.” एक अन्य अखबार ने उनका वर्णन कर्कश पोलिश लड़की के रूप में किया. अपने करियर के सबसे महान क्षण के तुंरत बाद स्टेला वॉल्श अपने साथियों का इंतजार किए बिना स्टेडियम से चली गईं. जितना वह अपने साथियों से बचतीं थीं, उतनी ही वह पत्रकारों से दूर रहती थी. वह दौड़ने के तैयार होकर ट्रैक पर आती और तुरंत मैदान से निकल जातीं.
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गोपनीयता और एकांत पसंद
डोरिस हिन्सन पियरोथ ने 1932 के ओलंपिक में महिला एथलीटों के बारे में अपनी किताब ‘देयर डे इन द सन’ में लिखा, “उस समय की सभी महिला एथलीट अजीब थीं – सामाजिक मानदंडों को तोड़ने वाली पेससेटर्स, लेकिन इसमें भी वॉल्श एकदम अलग थीं. वह हमेशा अलग-थलग रहती थीं.” अगर वह ट्रैक पर नहीं होती थीं, तो वह सहज नहीं रहती थीं. एक रिपोर्टर ने उन्हें “एक बेहद डरी हुई, परेशान, घबराई हुई छिपने की कोशिश करने वाली लड़की के रूप में वर्णित किया. वह अपना मुंह खोलने से डरती थी, उसे हर किसी पर भरोसा नहीं था.” गोपनीयता और एकांत पसंद करती थी. उसका अति सतर्क रहना. जो पीछे मुड़कर देखने पर समझ में आता है, जिसने उन्हें लोकप्रिय होने से रोक दिया. वह ज्ञात और अज्ञात दोनों रहना चाहती थी.
बर्लिन ओलंपिक में हेलेन पर लगाया आरोप
1936 के बर्लिन ओलंपिक में सौ मीटर के फाइनल में वॉल्श अपनी हमवतन प्रतिद्वंद्वी हेलन स्टीफेंस से पिछड़ गयीं और गोल्ड मेडल नहीं जीत सकीं. तब स्टेला वाल्श ने हेलन स्टीफेंस पर पुरुष होने का आरोप लगाया था. ओलंपिक खेलों के लंबे इतिहास में यह पहला मौका था, जब किसी महिला खिलाड़ी से उनके जेंडर को लेकर सवाल किए गए. वॉल्श के आरोप के बाद हेलेन को उनके महिला होने का सबूत देने को कहा गया था. लेकिन अभी इस मामले में नाटकीय ट्विस्ट आना बाकी था.
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गोलीबारी में हुई मौत
इसके 44 साल बाद दो दिसंबर 1980 को खरीदारी को निकली स्टेला वॉल्श क्लीवलैंड के एक भीड़भरे बाजार में हुई गोलीबारी में मारी गईं. उस समय स्टेला वॉल्श क्लीवलैंड के मनोरंजन विभाग के लिए मोटे वेतन पर काम कर रही थीं. उस दिन उन्होंने एक डिपार्टमेंट स्टोर से कुछ सामान खरीदा था. स्टोर के बाहर पार्किंग स्थल में, कुछ लुटेरों ने उनको घेर लिया. उनमें से एक के पास बंदूक थी. 69 वर्षीय वॉल्श अभी भी शारीरिक से रूप से मजबूत थीं. जैसे ही उन्होंने बंदूक पकड़ने की कोशिश की, एक गोली उनके पेट और आंतों को चीरती हुई निकल गई.
पोस्टमार्टम से खुला राज
चूंकि वॉल्श की हत्या कर दी गई थी, इसलिए पोस्टमार्टम की आवश्यकता थी. उनके अंतिम संस्कार की पूर्व संध्या पर, क्लीवलैंड टीवी स्टेशन पर एक समाचार बुलेटिन प्रसारित हुआ जिसने शहर, फिर देश और फिर दुनिया को हिलाकर रख दिया: स्टेला वॉल्श एक पुरुष थीं. वॉल्श का ट्रैक और फील्ड स्टार के रूप में करियर शानदार रहा था. ओलंपिक में एक स्वर्ण और एक रजत पदक के अलावा उन्होंने 41 एमेच्योर एथलेटिक यूनियन (एएयू) खिताब जीते और स्प्रिंट से लेकर डिस्कस थ्रो तक कई स्पर्धाओं में 20 विश्व रिकॉर्ड बनाए. वह महिला ट्रैक और फील्ड की पहली सुपरस्टार थीं. एक पत्रकार ने लिखा था, “महिलाओं के ट्रैक के लिए वॉल्श वही हैं जो बेसबॉल के लिए बेब रूथ हैं.”
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FIRST PUBLISHED : July 14, 2024, 16:18 IST
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