2024-01-07 00:36:04
मुंबई. गुरुदत्त (Vasanth Kumar Shivashankar Padukone) को ग्रेटेस्ट फिल्ममेकर कहा जाता है. वे अपने काम को लेकर बेहद संजीदा थे और कभी भी किसी बात से समझौता नहीं करते थे. गुरुदत्त की इस बात के कई किस्से भी मशहूर हैं. ऐसा ही एक किस्सा मोहम्मद रफी और उनके बीच का भी है. अपने परफेक्शन के लिए मशहूर गुरुदत्त ने एक दफा रफी साहब के सामने एक शर्त रख दी थी. इसके बाद रफी साहब भी मान गए थे कि उन्हें अपने काम पर इतना विश्वास क्यों था. आइए, Song of the week में इसी किस्से के बारे में बताते हैं.
कवि और गीतकार शकील बदायूंनी हर गाने में एक अलग ही रस भर दिया करते थे. उन्होंने एक दफा प्यारभरा नगमा एम सादिक की फिल्म के लिए लिखा था. जब गाना संगीतकार रवि के सामने पहुंचा तो उनके जेहन में सबसे पहले मोहम्मद रफी का नाम आया. वे जानते थे कि इस गाने के साथ रफी ही न्याय कर सकते हैं. रफी साहब को बताया गया और गाने की रिहर्सल के लिए दिन तय किया गया.
मोहम्मद रफी को आने में हुई देरी…
रिहर्सल गुरुदत्त के घर होनी थी और तय दिन पर सभी समय पर पहुंच गए लेकिन रफी साहब नहीं पहुंचे. गुरुदत्त बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और बार बार उनकी नजर घड़ी पर जा रही थी. जब बहुत देर तक रफी नहीं पहुंचे तो उन्हें ढूंढने के लिए एक व्यक्ति को उनके घर भेजा गया. पता चला कि वे एक रिकॉर्डिंग स्टूडियो में हैं. जब वह शख्स स्टूडियो पहुंचा तो रफी साहब ने उनसे क्षमा मांगी और कहा ‘आप जाइए, मैं आ रहा हूं.’ रफी साहब जब गुरुदत्त के घर पहुंचे तो अपने स्वभाव के अनुरूप सभी से देरी से आने पर क्षमा मांगी. साथ ही बताया कि वे एक गाने की अर्जेंट रिकॉर्डिंग के लिए गए थे और यह भी कहा कि गाना बहुत खूबसूरत था.
मान गए रफी साहब…
रफी साहब पर गुरुदत्त को गुस्सा आ रहा था लेकिन उन्होंने कुछ कहा नहीं. संगीतकार रवि ने रफी साहब से पूछा, ‘अच्छा ऐसा कौनसा गाना था, जिसके लिए आपको अर्जेंट जाना पड़ा.’ इस पर रफी ने बताया कि वह गाना था, ‘तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसी की नजर ना लगे चश्मेबद्दूर’. उनकी इस बात पर गुरुदत्त ने दावा करते हुए कहा हो सकता है ‘आप बहुत अच्छा गाना गाकर आए हों लेकिन आप जो गाना गाने वाले हैं वह शर्तिया बेहद खास होने वाला है. रफी साहब ने कहा, ‘बिलकुल’. जब रफी ने गाने की रिहर्सल की तो वे भी मान गए कि यह बेहद खूबसूरत और दिल छूने वाला गाना है. गाने की पंक्तियां थीं…
चौदहवीं का चांद हो, या आफ़ताब हो
जो भी हो तुम खुदा कि कसम, लाजवाब हो
ज़ुल्फ़ें हैं जैसे कांधे पे बादल झुके हुए,
आंखें हैं जैसे मय के पयाले भरे हुए
मस्ती है जिसमें प्यार की तुम, वो शराब हो
चौदहवीं का …
बता दें, ‘चौदहवीं का चांद’ 1960 में रिलीज हुई थी और इसका स्क्रीनप्ले अबरार अल्वी ने लिखा था. फिल्म में गुरुदत्त, वहीदा रहमान, जॉनी वॉकर, रहमान आदि कलाकार थे. फिल्म के गीत शकीन बदायूंनी ने लिखे और इन्हें संगीतबद्ध रवि ने किया था. रफी के अलावा फिल्म के लिए गीता दत्त, लता मंगेशकर, शमशाद बेगम, आशा भोसले ने आवाज दी थी.
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Tags: Entertainment Special, Mohammad Rafi
FIRST PUBLISHED : January 7, 2024, 06:06 IST
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