2024-07-30 13:21:48
Nora Polley first woman to represent India in Olympics: कल्पना कीजिए, एक ऐसा समय जब महिलाओं के लिए खेल का मैदान सीमित था. जब घर और परिवार ही उनकी दुनिया हुआ करती थी. लेकिन एक ऐसी बेटी थी उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर बदायूं की जिसने इस सोच को तोड़ दिया. जिसने भारत का नाम ओलंपिक के मंच पर रोशन किया. वह थीं नोरा मार्गरेट पोली. साल था 1924. जब भारत आजाद नहीं था. तब एक 17 सदस्यीय भारतीय दल पेरिस ओलंपिक में हिस्सा लेने गया था. इस दल में एकमात्र महिला खिलाड़ी थीं नोरा पोली. जी हां, नोरा पोली भारत की पहली महिला ओलंपियन थीं. उन्होंने टेनिस में अपना जलवा बिखेरा था.
स्कॉटलैंड में पढ़ाई और शादी
नोरा पोली का जन्म 1894 में बदायूं में हुआ था. लेकिन कुछ समय बाद वह स्कॉटलैंड चली गईं और वहीं पढ़ाई की. उन्होंने भारतीय सेना के एक अधिकारी सिडनी ट्रेपेस पोली से शादी की. 1924 में नोरा ने पेरिस ओलंपिक में हिस्सा लिया. उन्होंने टेनिस के सिंगल्स और डबल्स दोनों इवेंट में खेला. हालांकि, वे पदक जीतने में कामयाब नहीं रहीं, लेकिन उन्होंने भारत का नाम रोशन किया.
आज की महिला खिलाड़ी
आज भारत में महिला खिलाड़ी हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैं. 2024 पेरिस ओलंपिक में भारतीय दल में 47 महिला खिलाड़ी हैं. यह नोरा पोली की विरासत का ही नतीजा है कि आज महिलाएं खेलों में आगे बढ़ रही हैं. नोरा पोली ने न केवल भारत के लिए ओलंपिक में पदार्पण किया, बल्कि उन्होंने महिलाओं के लिए खेल के क्षेत्र में नई राहें खोलीं. उन्होंने साबित किया कि महिलाएं भी किसी से कम नहीं हैं.
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महिलाएं कर रही देश का नाम रोशन
आज जब हम महिलाओं के उत्थान की बात करते हैं, तो हमें नोरा पोली को याद रखना चाहिए. उन्होंने जो रास्ता दिखाया, उस पर चलते हुए आज भारतीय महिलाएं ओलंपिक में देश का नाम रोशन कर रही हैं. ओलंपिक खेलों न केवल महिला खिलाड़ियों की भारतीय दल में हिस्सेदारी बढ़ी है, बल्कि वे पदक तालिका में भी अच्छा खासा योगदान दे रही हैं. मत भूलिए कि इस बार निशानेबाज मनु भाकर ने अभी तक भारत की झोली में दो ब्रान्ज मेडल डाल दिए हैं. जबकि अभी बहुत से खेलों में महिला खिलाड़ियों का शिरकत करना बाकी है.
नीलिमा घोष ने 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में भाग लिया था.
नीलिमा थी आजाद भारत की पहली एथलीट
नीलिमा घोष को ओलंपिक में भाग लेने वाली स्वतंत्र भारत की पहली महिला एथलीट का दर्जा हासिल है. नीलिमा घोष एक युवा ट्रैक एंड फील्ड एथलीट थीं, जिन्होंने ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने वाली स्वतंत्र भारत की पहली महिला के रूप में सुर्खियां बटोरीं. 15 जून 1935 को जन्मी नीलिमा घोष मात्र 17 वर्ष की थीं जब उन्हें 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक के लिए चुना गया था. उन्होंने दो स्पर्धाओं में भाग लिया: 100 मीटर स्प्रिंट और 80 मीटर हर्डल रेस. नीलिमा घोष के साथ खेलों में एक अन्य एथलीट मैरी डिसूजा सिकेरा भी शामिल हुईं, जिन्होंने महिलाओं की 100 मीटर और 200 मीटर में भाग लिया. इन एथलीट्स के अलावा, तैराक डॉली नज़ीर और आरती साहा ने भी हेलसिंकी 1952 में भारत का प्रतिनिधित्व किया था.
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मल्लेश्वरी ने दिलाया पहला पदक
जहां तक पदक विजेताओं की बात है. वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी साल 2000 सिडनी ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं. उसके बाद 2012 लंदन ओलंपिक में भारतीय महिला खिलाड़ियों ने पहली बार अपनी छाप छोड़ी. शटलर साइना नेहवाल और बॉक्सर एम. सी. मैरी कॉम ब्रांज मेडल जीतने में सफल रही थीं. 2016 रियो ओलंपिक में अगर महिला खिलाड़ियों ने करिश्मा न किया होता तो खाली हाथ लौटने की नौबत आ गई थी. रियो में शटलर पीवी सिंधु और रेसलर साक्षी मलिक ने भारत की लाज बचाई. 2021 टोक्यो ओलंपिक में भारत ने एक गोल्ड सहित सात पदक जीते. टोक्यो में वेटलिफ्टर मीराबाई चानू, बॉक्सर लवलीना बोरहेगन और शटलर पीवी सिंधु ने भारत के रिकॉर्ड प्रदर्शन में अहम भूमिका निभाई.
निशानेबाज मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में दो कांस्य पदक जीते हैं.
पेरिस में मनु ने रचा इतिहास
पीवी सिंधु ने टोक्यो ओलंपिक में इतिहास बनाया. वह अपने ब्रॉन्ज के साथ आजादी के बाद दो व्यक्तिगत ओलंपिक पदक अर्जित करने वाली पहली भारतीय महिला और पहलवान सुशील कुमार के बाद केवल दूसरी भारतीय एथलीट बनीं. लेकिन मनु भाकर ने पेरिस में चल रहे ओलंपिक खेलों में सफलता की एक नई इबारत लिख दी है. मनु ने खेलों के दूसरे दिन 10 मीटर एयर पिस्टल में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत का खाता खोला था. तो आज यानी मंगलवार को उन्होंने इतिहास रच दिया. मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल की मिक्स्ड टीम इवेंट में सरबजोत सिंह के साथ मिलकर एक और ब्रान्ज मेडल पर निशाना साधा. इस उपलब्धि के साथ वह सुशील कुमार और पीवी सिंधु से आगे निकल गई हैं. उनके नाम एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने का रिकॉर्ड दर्ज हो गया है.
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FIRST PUBLISHED : July 30, 2024, 18:51 IST
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